अब बिजली की नही होगी समस्या, झारखंड सरकार बेहतर आपूर्ति के लिए उठा रहे कदम।

झारखंड में बिजली वितरण की प्रणाली के सुधार को ध्यान में रखते हुए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) झारखंड में अच्छे बिजली के माँग करते हुए ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार को 10 हजार करोड़ का प्रस्ताव भेजा है। राज्य के लगभग 15 लाख घरों में बिजली का प्री-पेड मीटर लगाने का काम शुरू कर दी गई है।झारखंड में बिजली चोरी की गुंजाइश खत्म करने के लिये आवासीय कॉलोनियों में 11 केवी के एलटी तारों को एबी केबिल (एरियल बंच कंडक्टर) और अंडरग्राउंड केबिल में बदला जाएगा।

बता दें कि भारत सरकार ने अगस्त में ही हर घर में 2025 तक प्री-पेड मीटर लगाने के लक्ष्य तय कर दी है और इसके तहत नई योजना आरडीएसएस (रिवैम्प डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) लांच भी की थी, भारत सरकार की मदद से राज्य में इस योजना के तहत बिजली वितरण नेटवर्क के तहत बड़े बदलाव का प्रस्ताव तैयार कर भेज दिया गया है, अगर प्रस्ताव को मान लिया जाता है तो राज्य में 15 लाख मीटर और लग सकेंगे।

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राज्य के बड़े शहर जैसे रांची, जमशेदपुर और धनबाद में लग रहे 6.5 लाख प्री-पेड मीटर के अलावा और भी मीटर लगाए जाएंगे,ये सर्विस सेम टू सेम मोबाइल फ़ोन जैसा होगा, रिचार्ज खत्म होने से बिजली का कनेक्शन बंद हो जायेगी, (प्री-पेड का मतलब ही ये होता है कि पहले भुगतान फिर उपयोग ) लोगो को पहले भुगतान करना होगा तभी बिजली का उपयोग कर सकेंगे,इस योजना से राज्य सरकार को बिजली बिल की वसूली की समस्या का पूर्ण रूप से समाधान हो जाएगा, अभी के समय में भारत मे लगभग 450 रु करोड़ की बिजली की उत्पादन हो रही है, जबकि बिजली बिल के नाम पे मात्र 350 रु करोड़ तक वसूला जा पाता है, प्री-पेड के माध्यम से बिजली लेने देन को काफी आरामदेय बना देगा।

नही की जा सकेगी बिजली की चोरी

10 हजार किमी एलटी लाइन एबी केबिल में होगी , केंद्र सरकार को भेजे गये प्रस्ताव के मुताबिक करीब 10 हजार किलोमीटर 11 केवी के एलटी तारों को एबी केबिल में बदल दिया जाएगा वहीं, अंडरग्राउंड केबिल भी डालेंगें, ऐसा करने से ये होगा कि, अक्सर हम देखते है कि बारिश के मौसम में बिजली की थोड़ी समस्या होती है, लेकिन अंडरग्राउंड तार रहने के वजह से हर मौसम में बिजली का उपयोग अच्छे ठंग से कर पाएंगे।

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बिजली लॉस में कमी देखने को मिलेगी

नई योजना सुचारू रूप से शुरू हो जाने के बाद JBVNL का एटीएंडसी लॉस कम हो सकेगा, इस समय एटीएंडसी लॉस लगभग 35 प्रतिशत दर्ज हो रहा है, जिसे काम करके सरकार को 17 प्रतिशत पर लाना है। यह लॉस उत्पादन और ख़पत के अंतर को साफ़ साफ़ करता है, जो झारखंड में काफी अधिक है,राजस्व में भुगतान की कमी से JBVNL डीवीसी को शत-प्रतिशत भुगतान नहीं कर पाता, एटीएंडसी लॉस को कम करने के लिये राज्य द्वारा दिये गए ट्रांसफार्मरों पर भी मीटर लगाये जायेंगे, इस मीटर को लगाने से यह पता चल पायेगा की ट्रांसफार्मरों की कितनी बिजली मीलती है और इससे घरों को दी गई बिजली के बदले कितनी वसूली हो पाती है,आपूर्ति और बिलिंग के जरिये यह पता लग पाएगा कि प्रति ट्रांसफार्मर परलॉस कितना है, जिससे पता चलेगा कि बिजली की चोरी कितनी है और बिजली चोरी की समस्या पे काबू पाया जाएगा।

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